लिक्खूँ क्या सौंदर्य तुम्हारा

लिक्खूँ क्या सौंदर्य तुम्हारा?
चूके शब्द, चकित मन हारा
प्रिये कहाँ से शब्द वो लाऊँ
बरनै जो मृदु रूप तुम्हारा।।

कौन से छंद में तुमको बाँधूँ
कहो तुम्हें मैं क्या उपमा दूँ?
अलंकार वो कौन सा होगा
व्यक्त करे जो रूप तुम्हारा?

प्रेरणा तुम गीतों-ग़ज़लों की
तुम कारण अगणित भावों की
किन्तु कहो वो भाव क्या होगा
जिसमें सिमटे रूप तुम्हारा?

करूँ हृदय से तेरा अर्चन
या मस्तिष्क का लूँ आलम्बन
कहो प्रिये वह विधि क्या होगी
पूजे दिव्य जो रूप तुम्हारा?

तुमको काव्य में कैसे ढालूँ
कैसे तेरा बिम्ब उतारूँ
तनिक कहो किस तरह बखानूँ
मेरा प्रेम औ रूप तुम्हारा?

दिनेश चंद्र पाठक “बशर”।।

मेरी पुस्तक “कुछ शब्द ठिठके से” में से उद्धृत

7 Comments

  • Posted April 15, 2021 7:52 am
    by
    मोनिका अरोरा

    🌸अति सुंदर रचना🌸

  • Posted April 17, 2021 12:29 am
    by
    धर्मेन्द्र सिंह चौहान

    बहुत सुंदर कविता और भावाभिव्यक्ति. साधुवाद आपको।

    • Posted April 17, 2021 10:36 am
      by
      Dinesh Chandra Pathak

      जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका

  • Posted April 17, 2021 6:37 am
    by
    डॉ कविता भट्ट 'शैलपुत्री'

    उत्कृष्ट रचना, हार्दिक बधाई।

  • Posted April 17, 2021 6:38 am
    by
    नीलाम्बरा.com

    अति उत्तम, हार्दिक बधाई।

    • Posted April 17, 2021 10:36 am
      by
      Dinesh Chandra Pathak

      हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद

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