चुनरी (भजन)

चुनरी में लागा दाग री
अब कौंनो जतन करूँ ।
चुनरी मोरी रंग रंगीली
या में जड़े थे हरि नाम के मोती
कबहुँ न कीनो राग री। अब कौनो….
नाहीं जप तप भजन न कीना
हरि सुमिरन तो कबहुँ न कीना
फूटे मेरे भाग री। अब कौनो….
“निर्मल” था मन और बदन मोरा
कबहुँ न अपनी ओर निहोरा
मति में लागी आग री। अब कौनो….
अब भी कर हरि नाम सहारा
वही करेंगे बेड़ा पारा
मत कर भागम भाग री। अब कौनो….

___हीराबल्लभपाठक “निर्मल”

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