भगवान श्री राम – पूर्ण न्याय प्रतीक्षारत

वर्तमान में समूचे भारतवर्ष सहित विश्व भर की निगाहें अयोध्या की और टिकी हुई है । हो भी क्यों न लगभग 500 वर्ष के दीर्घकालीन वनवास के पश्चात प्रभु श्री राम पुनः पूरे विधि विधान के साथ…

लैंगिक संवेदनशीलता के साथ लैंगिक सम्मान और सामंजस्य ।

लैंगिक संवेदनशीलता के साथ लैंगिक सम्मान और सामंजस्य भी आवश्यक है। आज से एक दशक पूर्व तक जब बस या ट्रेन में महिला यात्री सफर के दौरान सीट न मिलने के कारण खड़ी रहती थी , तो…

वात्सल्य की प्यास

अनभिज्ञ हूं तुम्हारे गमन सेअंधकार या प्रकाश मार्ग सेकर प्रकाशमान जीवन कोतुम मोह का आवरण हटाकेजीवन सत्य को दीप्ति करसौर रश्मियो का जैसे एहसासकर मुक्त सीमा जंजाल सेविचरने को मुक्त आकाश में। दुर्लभ मिलना होता हैसानिध्य फरिश्तों…

करवाचौथ

आज फलक पर चांद देखोफीका फीका लगता हैकितने बिम्ब धरा पर इसकेरूप का सावन बहता है।ठनी हुई धरती अंबर मेदमक रहा है किसका आंगनधारण धरा धवल दुशालाछाया चौदस का उजियारा है। आज न श्रापित चौथ का चांदलुक…

धर्म और प्रवृत्ति।

धर्म का ज्ञान होने और धर्म में प्रवृत्ति होने, दोनों में अंतर है। प्रायः हम सभी को धर्म का ज्ञान तो अवश्य होता है, क्योंकि शरीर के भीतर बैठा आत्मा हमारे हर बुरे कर्म पर हमें टोकता…

जिया नहीं जीवन खपाया है।

जिया नहीं, जीवन खपाया हैमैंने रिश्तों को निभाया है।। खर्च घर के, हिसाब दफ़्तर कारोज़ ये ही किया-कमाया है।। ज़िंदगी काश तू मिली होतीपूछता क्या तेरा किराया है?? तीज त्यौहार कर्जदार लगेंबेरहम ने सदा सताया है।। था…

वैश्विक सांझे भविष्य की परिकल्पना- जी 20 का लोगो और आधार वाक्य। बीना नयाल

इस समय राजधानी दिल्ली अंतरराष्ट्रीय संगठन जी- 20 की मेजबानी के लिए काफी उत्सुक और तैयार है। हो भी क्यों ना भारत को पहली बार अंतरराष्ट्रीय संगठन G- 20 का नेतृत्व और मेजबानी का अवसर जो मिला…

आह्वान

छोड़िए इंडिया बनाम भारत का अलापराष्ट्रीय हित में प्रज्वलित करे नूतन मशाल कोढ़ सी महंगाई पर बेरोजगारी रूपी खाजहताश ह्रदय कैसे करें शताब्दी वर्ष का आगाज नित संसाधनों का दोहन और अमृत की बंदरबाटघुट घुट विष व्याकुल…

यह द्वंद सिर्फ मेरा है

उम्र बढ़ने के साथ-साथभीड़ के बीचमैं अपने भीतरऔर अधिक अपूर्णता,एकाकीपन, सन्नाटा,नीरवता और मौनअनुभव करती हूं।। मैं चहकना चाहती हूंहँसना-खिलखिलाना चाहती हूंउछलना-कूदनादौड़ना-भागना चाहती हूंऔर वातावरण सेघुलमिल जाना चाहती हूंलेकिन कुछ कर नहीं पाती हूं।। मैं अनुभव करती हूंकि…

मिले तो क्या मिले?

सुबहें मां की गोददुपहरी धूप तापीइन शामों में मिलेतो क्या मिले? चली डगरपानी पर बैठी लहरकिनारों में सागर मिलेतो क्या मिले? शिकायत नहींप्रीत से तेरीढलती मिलेतो क्या मिले? मै छांव की चाह मेंशहर _शहरअब गांव भी मिलेतो…

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