वात्सल्य की प्यास

अनभिज्ञ हूं तुम्हारे गमन सेअंधकार या प्रकाश मार्ग सेकर प्रकाशमान जीवन कोतुम मोह का आवरण हटाकेजीवन सत्य को दीप्ति करसौर रश्मियो का जैसे एहसासकर मुक्त सीमा जंजाल सेविचरने को मुक्त आकाश में। दुर्लभ मिलना होता हैसानिध्य फरिश्तों…

करवाचौथ

आज फलक पर चांद देखोफीका फीका लगता हैकितने बिम्ब धरा पर इसकेरूप का सावन बहता है।ठनी हुई धरती अंबर मेदमक रहा है किसका आंगनधारण धरा धवल दुशालाछाया चौदस का उजियारा है। आज न श्रापित चौथ का चांदलुक…

जिया नहीं जीवन खपाया है।

जिया नहीं, जीवन खपाया हैमैंने रिश्तों को निभाया है।। खर्च घर के, हिसाब दफ़्तर कारोज़ ये ही किया-कमाया है।। ज़िंदगी काश तू मिली होतीपूछता क्या तेरा किराया है?? तीज त्यौहार कर्जदार लगेंबेरहम ने सदा सताया है।। था…

आह्वान

छोड़िए इंडिया बनाम भारत का अलापराष्ट्रीय हित में प्रज्वलित करे नूतन मशाल कोढ़ सी महंगाई पर बेरोजगारी रूपी खाजहताश ह्रदय कैसे करें शताब्दी वर्ष का आगाज नित संसाधनों का दोहन और अमृत की बंदरबाटघुट घुट विष व्याकुल…

ख्वाहिशें अपनी बेच आता हूं

ख्वाहिशें अपनी बेच आता हूंयूं ज़रूरत से मैं निभाता हूं।। थके कदमों से लौटता घर कोदेख बच्चों को मुस्कुराता हूं।। दिल से मजबूर जब दिमाग़ हुआदर्द सहकर भी सुकून पाता हूं।। भूख अक्सर ही जीत जाती हैमैं…

यह द्वंद सिर्फ मेरा है

उम्र बढ़ने के साथ-साथभीड़ के बीचमैं अपने भीतरऔर अधिक अपूर्णता,एकाकीपन, सन्नाटा,नीरवता और मौनअनुभव करती हूं।। मैं चहकना चाहती हूंहँसना-खिलखिलाना चाहती हूंउछलना-कूदनादौड़ना-भागना चाहती हूंऔर वातावरण सेघुलमिल जाना चाहती हूंलेकिन कुछ कर नहीं पाती हूं।। मैं अनुभव करती हूंकि…

मिले तो क्या मिले?

सुबहें मां की गोददुपहरी धूप तापीइन शामों में मिलेतो क्या मिले? चली डगरपानी पर बैठी लहरकिनारों में सागर मिलेतो क्या मिले? शिकायत नहींप्रीत से तेरीढलती मिलेतो क्या मिले? मै छांव की चाह मेंशहर _शहरअब गांव भी मिलेतो…

एक जीवन यह भी

खेतों और खलिहानों मेंमंदिर और मकानों मेंसड़कों और दुकानों मेंविक्षिप्त तन के छालेमहंगे पड़ते हैं निवाले।। फटे देह, फटे वस्त्रधारण किए निर्माण अस्त्रजेठ दुपहरी कुम्हलाएकुआं खोदे दिवस प्रतिकंठ अतृप्त मुरझाए।। ऊँची मीनारों की नक्काशीक्या मथुरा क्या काशीयुद्ध…

अब तो विदा कर दो मुझे।

किरण नेगी के निर्मम बलात्कार और हत्या के संदर्भ में श्रद्धांजलि स्वरुप श्रीमती बीना नयाल जी की रचना। अब तो विदा कर दो मुझे गुज़र गया है एक दशकज़ख को ना मिला मरहमचौपाल से लेकर संसद तकनिर्वस्त्र…

कलम उनकी जय बोल

जिनके ऊपर खड़ा शिखर,जो पत्थर हैं बुनियाद के,उड़ने से जिन्हें रोक न पाये, जालिम पंजे सैय्याद के।कतरा कतरा खून से लिखे हिंद का वो भूगोल,वो देश के सच्चे पूत,आज कलम उनकी जै बोल।प्रशस्त किया था मार्ग जिन्होंने,…

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