अनभिज्ञ हूं तुम्हारे गमन सेअंधकार या प्रकाश मार्ग सेकर प्रकाशमान जीवन कोतुम मोह का आवरण हटाकेजीवन सत्य को दीप्ति करसौर रश्मियो का जैसे एहसासकर मुक्त सीमा जंजाल सेविचरने को मुक्त आकाश में। दुर्लभ मिलना होता हैसानिध्य फरिश्तों…
एक टहनी एक दिन पतवार बनती है..एक चिंगारी दहक अंगार बनती है..रौंदी गई जो सदा बेबस समझकर..मिट्टी वही एक दिन मीनार बनती है.. तपाई जाती है भट्टी में जो दिनों तक..जुड़कर ईंट फिर दीवार बनती है..बोकर खेतों…
आज फलक पर चांद देखोफीका फीका लगता हैकितने बिम्ब धरा पर इसकेरूप का सावन बहता है।ठनी हुई धरती अंबर मेदमक रहा है किसका आंगनधारण धरा धवल दुशालाछाया चौदस का उजियारा है। आज न श्रापित चौथ का चांदलुक…
हार हो या जीत हो ना कभी भय भीत हो..जलालो दीप तब जब अंधकार प्रतीत हो.. दौड़कर प्रहार कर शत्रु का संहार कर..होंठों पर तुम्हारे सर्वदा विजय का गीत हो.. खुद को बलिष्ट कर पर इरादा पुनीत…
शहर से निकली तो गाँव गाँव चली..कुछ यादें मेरे संग पाँव पाँव चली.. किया सफर धूप का तो तजुर्बा हुआ..वो जिंदगी ही क्या जो छाँव छाँव चली.. हुआ जब गुमान तो बेइंतहां हुआ..मुश्किलें कुछ मेरे साथ साथ…
धर्म का ज्ञान होने और धर्म में प्रवृत्ति होने, दोनों में अंतर है। प्रायः हम सभी को धर्म का ज्ञान तो अवश्य होता है, क्योंकि शरीर के भीतर बैठा आत्मा हमारे हर बुरे कर्म पर हमें टोकता…
जीत किसके लिए और हार किसके लिए..जीवन भर जारी ये तकरार किसके लिए.. जन्म लेने वाला हर हाल में जायेगा एक दिन..फिर यह धन दौलत का अम्बार किसके लिए.. व्यक्ति रूप से नहीं गुणों से सुंदर होता…
दिए आगोश में अंधेरे के जला करते हैं..फूल काँटो के दरमियां खिला करते हैं.. घबराना मत कठिनाइयों से कभी तुम..हीरे अक्सर रेत में ही मिला करते हैं.. रखना रोशन उम्मीद की लौ को हमेशा ..हिम्मत वाले फतह…
अथक परिश्रम से जिन के हम ने आजादी पाई..उनमें थे गांधी सुभाष सावरकर और बल्लभ भाई.. लिया जन्म पोरबन्दर में गए विलायत पढ़ने..फिर दक्षिण अफ्रीका पहुंचे फिरंगियों से लड़ने.. न्याय दिलाया अश्वेतों को फिर याद वतन की…
पानी से तस्वीर नहीं बनती..ख्वाबों से तकदीर नहीं बनती.. कितने बड़े सपने तुम देख लो..बिना मेहनत के नजीर नहीं बनती.. बेकार कोशिश करके क्या फायदा..कड़ी जोड़े बिना जंजीर नहीं बनती.. कोई ध्यान नहीं देगा तुम्हारी बातों में..अगर…