उठा लो शस्त्र तुम हाथों में अब..आ न पाये यहाँ पर रावण कोई.. तोड़ दो उस हाथ को अगर छूने लगे..माँ सीता का पावन दामन कोई.. ठोक दो उसे अगर उठाने लगे..मारने को सेना पर पत्थर कोई..…
प्रेम तन की प्यास नहीं है यह दिलों का जुड़ना है..इस युद्ध में हार गया वो सीखा जिसने लड़ना है.. शिकस्त हो या जीत हो मुकद्दर के इस खेल में..अपनी चाहत को हमने प्यार से हासिल करना…
अलगाववादियों के अड्डों में सेना की टोली हो..जिस हाथ दिखे पत्थर उसके सीने में गोली हो.. इन गद्दारों को जीवित रहने का अधिकार नहीं..अब देशद्रोहियों के साथ शुरू खून की होली हो.. कहते हैं जेएनयू में ये…
ऐसा मुझ पर कोई कमाल रखा है..तूने तो हे प्रभु मुझे सम्हाल रखा है.. मेरी बुराइयों में डाल कर परदा..मुझे तो अच्छों में डाल रखा है.. मुसीबत में कैसे जीना है सिखाकर..कठिनाइयों के अनुकूल मुझे ढाल रखा…
सहारा दे कोई मुश्किल में हिम्मत और बढ़ती है..खूबसूरत है अगर हीरा तो कीमत और बढ़ती है.. कंटकों से भरी हुई दुष्कर जिंदगी की राह में..रोक ले हमको कोई तो ताकत और बढ़ती है.. तुम्हारे पास गर…
आपदा ने पहाड़ों में नदियों का रुख मोड़ा है..सरिताओं ने पुण्य वाहिनी तटबंधों को तोड़ा है.. शिक्षा और रोजगार के लिए पलायन हो रहा..सूने होते गांवों में निज गांवों को हमने जोड़ा है.. कूट कूट कर यहां…
उम्र बढ़ने के साथ-साथभीड़ के बीचमैं अपने भीतरऔर अधिक अपूर्णता,एकाकीपन, सन्नाटा,नीरवता और मौनअनुभव करती हूं।। मैं चहकना चाहती हूंहँसना-खिलखिलाना चाहती हूंउछलना-कूदनादौड़ना-भागना चाहती हूंऔर वातावरण सेघुलमिल जाना चाहती हूंलेकिन कुछ कर नहीं पाती हूं।। मैं अनुभव करती हूंकि…
जब गुजरती है काली रात नया सवेरा आता है..साथ सुबह के सूरज के हर बार अंधेरा जाता है.. साथ साथ संकल्प शक्ति के जिसमें होता है धीरज..उठकर साथ जमाने के सिर्फ वही चल पाता है.. इस ऊंचे…
बाती में दीये की जब तक तेल है..दीया उम्मीद का यूं जलता रहेगा..मुसीबतें जीवन में आती रहेंगी..जो किस्मत में होगा मिलता रहेगा.. मर्जी अपनी हम तो चलाते रहेंगे..कोई और चाहे कुछ भी कहेगा..होना वही है जो प्रभु…
निराश होना नहीं तू कहीं हार के..काँटों में ही होते हैं फूल बहार के.. होती है जीत हरदम हिम्मत वाले की ..लड़ता डटकर है जो चुनौती स्वीकार के.. चाहे तुम कितना भी ठोक और पीट लो..ढलता सोना…