स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता – मजबूत लोकतंत्र हेतु सामूहिक जिम्मेदारी

अंतरराष्ट्रीय स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता दिवस पर विशेष 3 मई को अंतरराष्ट्रीय स्वतंत्र व निष्पक्ष पत्रकारिता दिवस मनाया जाएगा और इस संदर्भ में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता के लिए अनेक प्रयास किए जाएंगे ।संयुक्त राष्ट्र…

श्रमिक दिवस पर विशेष

श्रमेव जयते के निहितार्थदेश की आजादी की 75 वर्षों की यात्रा विभिन्न मोर्चों पर विकास ,समृद्धि और खुशहाली की यात्रा है यद्यपि आपसी संघर्ष और टकराव भी इस यात्रा के सहगामी है। आजादी की अमृतवेला में इस…

आस

दिल को यूं ही उदास मत करना..किसी से कोई आस मत करना.. जमीर से सच छिपा नहीं करता..झूठ पर कभी विश्वास मत करना.. जिन्दगी बहते लम्हों का दरिया है..किनारों से कोई कयास मत करना.. किसी बेवफा के…

हसरत

आँखों में पानी अधरों पर चिंगारी रखिये..जिंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखिये.. अगर दस्ता जांबांजों का करना है तैयार..तो हुनर की थोड़ी सी कदरदानी रखिए.. रखिये कूट कर हिम्मत टूटे हुए दिलों में..हरा कर जुर्म…

प्रकृति का उपहार

फूल अच्छे हैं पैगाम खुशबू का देते हैं..कांटे अच्छे हैं दामन थाम लेते हैं.. उन सभी चाहने वालों का शुक्रिया..जो हर महफिल में नाम मेरा लेते हैं.. अहमियत नहीं है कम इन नदियों की..दरिया के पानी को…

कर्म

करके जुर्म लोग पाप गंगा में धोते हैं..अवाम के बीच ही मुजरिम छुपे होते हैं.. रहकर अंधेरे में होती है चाह उजाले की..कुछ पाते हैं हम तो कभी कुछ खोते हैं.. जरुरत है उसको रोशनी और हवाओं…

अभिलाषा

सादगी किसी श्रृंगार से कम नहीं होती..चिंगारी कभी अंगार से कम नहीं होती.. ये तो हमारे सोचने का फर्क है दोस्तो..वरना चाहतें इनकार से कम नहीं होती.. चलें जाएं बहुत दूर अगर हम दोनों..गुंजाइश रिश्तों की खतम…

जज्बात

मुफलिसों के लिए एहतराम रखते हैं..शौक दिल में हम भी तमाम रखते हैं.. उन गुनहगारों से हम कभी डरते नहीं..मुजरिम जो नाम अपना बदनाम रखते हैं.. आस्तीन में रहकर हमारी हमें डसता है जो..उस जाहिल के साथ…

फलसफा

बे वजह दिल पर बोझ ना भारी रखिए..जिन्दगी जंग है इसे यूं ही जारी रखिए.. लोगों का हुजूम लगा रहता है मिलने को..पाल के अपने पास कोई न बीमारी रखिए.. सौबत का असर जरूर पड़ता है हम…

अपने

हर तपिश को जिंदगी की मुस्कुरा कर झेलिए..धूप कितनी भी हो समंदर सूखा नहीं करते.. नजरंदाज करते नहीं नाराजगी अपनों की..बर्ताव उनसे भूलकर भी रूखा नहीं करते.. कुर्बानी भी दे सकते हैं वो जान की अपनी..जो कुनबे…

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