इश्क़ का लुत्फ़ इतना जाना है

इश्क़ का लुत्फ़ इतना जाना है
शेर कहने का इक बहाना है।।

ढूँढता हूँ हसीन सी सोहबत
गीत चाहत पे इक बनाना है।।

इस क़लम के कमाल के सदके
कितनों के हुस्न को सँवारा है।।

देख लहराते उनके आँचल में
कितने नग़मों का ताना-बाना है।।

सामने हुस्न, हाथ में हो क़लम
ऐ “बशर” ख़्वाब क्या सुहाना है।।

दिनेश चंद्र पाठक “बशर”।।

7 Comments

  • Posted September 10, 2021 1:06 pm
    by
    Jayanti Sundriyal

    Bahut khoob

  • Posted September 11, 2021 1:50 am
    by
    डॉ कविता भट्ट 'शैलपुत्री'

    बहुत सुंदर

  • Posted September 11, 2021 1:50 am
    by
    डॉ कविता भट्ट 'शैलपुत्री'

    अच्छा लिखा, हार्दिक बधाई

  • Posted September 11, 2021 8:03 am
    by
    Kamlesh Kandpal

    वाह वाह.. अतुलनीय 💐💐🌹

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